तुला लग्न में बृहस्पति के बारह भावो में क्या फल होते है

Date : 2022-03-06

तुला लग्न में बृहस्पति के बारह भावो में क्या फल होते है


 1 तुला लग्न में बृहस्पति तीसरे स्थान और छठे स्थान का मालिक होता है। तीसरा स्थान मेहनत, पराक्रम, छोटे भाई बहन का होता है और छठा स्थान कर्ज, रोग और लड़ाई झगड़े का होता है। अगर तुला लग्न में लग्न में बृहस्पति हो तो स्वास्थ्य खराब रहता है। लड़ाई झगड़े के योग बनते है। कर्ज के योग बनते है। लेकिन ऐसा जातक मेहनती होता है और ऐसे जातक में हिम्मत बहुत होती है। छोटे भाई बहन के योग बनते है।

2 तुला लग्न में यदि दूसरे स्थान में बृहस्पति होता है तो कर्ज के योग बनते है। धन हानि के योग बनते है। गले और मुख के रोग होते है। परिवार में लड़ाई झगड़े और स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या होती है। पराक्रम में कमी रहती है मेहनत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता है। मेहनत व्यर्थ हो जाती है।

3 तुला लग्न में तीसरे स्थान में बृहस्पति होने से जातक मेहनती होता है। उसमे हिम्मत बहुत होती है। ऐसे जातक को मेहनत का फल प्राप्त होता है। ऐसा जातक शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है। धन लाभ होता है। धार्मिक यात्रा होती है। अच्छा पढ़ा लिखा जीवन साथी प्राप्त होता है। जीवन साथी अच्छी जॉब करने वाला होता है।

4 तुला लग्न में चौथे स्थान में बृहस्पति होने के कारण कर्ज के योग बनते है। माता को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या होती है। प्रॉपर्टी से जुडी समस्या के योग बनते है प्रॉपर्टी से जुड़ा वाद विवाद होता है। लड़ाई झगड़े के योग बनते है। विदेश से धन लाभ होता है। कार्य क्षेत्र में तरक्की के योग बनते है। गुप्त विद्या में रूचि होती है। शत्रुओ से परेशानी रहती है। मामा को कष्ट के योग बनते है। वजन से जुडी समस्या होती है ऐसा जातक या तो ओवर वेट हो जाता है या अंडर वेट हो जाता है। चेस्ट इन्फेक्शन और पाचन क्रिया से जुडी समस्या रहती है।

5 तुला लग्न में पंचम भाव में बृहस्पति होने के कारण पेट और पाचन क्रिया से जुडी समस्या रहती है। संतान को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या होती है पढ़ाई में परेशानी रहती है। मित्रो से लड़ाई झगड़े के योग बनते है। प्लानिंग सफल होने में समस्या रहती है। धन लाभ होता है। ऐसा जातक धार्मिक होता है। धार्मिक यात्रा करता है।

6 तुला लग्न में छठे स्थान में बृहस्पति स्वराशि का होता है तो शत्रु समाप्त होते है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है। मामा से लाभ होता है। कर्ज नहीं होता है लेकिन अगर बृहस्पति पाप ग्रहो के प्रभाव में हुआ तो शत्रु होंगे। स्वास्थ्य खराब रहेगा। कर्ज होगा।

7 तुला लग्न में सप्तम भाव में बृहस्पति होने के कारण पति पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े के योग बनते है और जीवन साथी को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या रहती है। ऐसे जातक को गुप्त रोग हो सकते है। वजन बढ़ सकता है। ऐसा जातक धार्मिक होता है। मेहनती होता है। धन लाभ होता है।

8 तुला लग्न में आठवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण कब्ज और पाइल्स, गुदा रोग जैसी समस्या होती है। धन संचय होता है। ऐसा जातक दानी प्रवृति का होता है। विदेश से धन लाभ होता है। प्रॉपर्टी और वेहिकल सुख प्राप्त होता है। ऐसा जातक सोच समझकर धन खर्च करने वाला होता है। पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। ऐसा जातक स्थिर बुद्धि का होता है। ऐसे जातक की गुप्त विद्या में रूचि होती है जैसे ज्योतिष।

9 तुला लग्न में नोवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण भाग्य में रूकावट रहती है मेहनत के अनुसार भाग्य का साथ प्राप्त नहीं होता है प्रत्येक कार्य में बाधाए आती है। लेकिन ऐसा जातक मेहनती होता है। स्वास्थ्य सम्बंधित कोई न कोई समस्या लगी रहती है। ऐसा जातक धार्मिक स्वाभाव का होता है। संतान सुख प्राप्त होता है। कर्ज के योग बनते है। वाद विवाद के योग बनते है।

10 तुला लग्न में दसवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण कार्य क्षेत्र में समस्या रहती है। प्रॉपर्टी, वेहिकल के योग बनते है स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शत्रु समाप्त होते है। धन संचय के योग बनते है पारिवारिक सुख प्राप्त होने के योग बनते है।

11 तुला लग्न में लाभ स्थान में बृहस्पति होने के कारण कर्ज के योग बनते है धन लाभ में रूकावट रहती है। संतान सुख प्राप्त होता है। शिक्षा में लाभ होता है। मित्र बनते है। ऐसा जातक मेहनती होता है। ऐसे जातक को मेहनत के अनुसार फल प्राप्त होता है। ऐसे जातक की शादी अच्छे पढ़े लिखे व्यक्ति से होती है। जीवन साथी अच्छी जॉब करने वाला होता है। धार्मिक जीवन साथी की प्राप्ति होती है।

12 तुला लग्न में बारवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण कर्ज के योग बनते है। कोर्ट केस के योग बनते है। स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या के योग बनते है। प्रॉपर्टी और वेहिकल सुख प्राप्त होने के योग बनते है गुप्त विद्या में रूचि होती है। शत्रु के योग बनते है। लेकिन शत्रुओ और कोर्ट केस में ऐसे जातक को विजय भी प्राप्त होती है।

ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा

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