मेष लग्न में बृहस्पति के बारह भावो में फल

Date : 2021-03-02

मेष लग्न में बृहस्पति के बारह भावो में फल

१ मेष लग्न में बृहस्पति नोवे स्थान और बारवे स्थान का मालिक होता है। नोवा स्थान भाग्य का होता है। लम्बी दूरी की यात्रा का होता है। धर्म का होता है। बारवा स्थान खर्च का होता है। विदेश का होता है। मेष लग्न में यदि लग्न में ही बृहस्पति बैठा हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। विदेश से लाभ होता है। विदेश यात्रा के योग बनते है। धार्मिक यात्रा के योग बनते है। लम्बी दूरी की यात्रा के योग बनते है। खर्चे अधिक होते है। ऐसा जातक धार्मिक होता है। ऐसे जातक का वजन थोड़ा ज्यादा होता है। हाइट अच्छी होगी।

२ मेष लग्न में दूसरे स्थान पर बृहस्पति होने के कारण भाग्य से धन की प्राप्ति होती है। धन के योग बनते है लेकिन खर्चे भी अधिक होते है। गुप्त विद्या में रूचि होती है। करियर में तरक्की के योग बनते है। शत्रुओ से मुक्ति प्राप्त होती है शत्रुओ पर जीत प्राप्त होती है। रोग समाप्त होते है।

३ मेष लग्न में तीसरे स्थान में बृहस्पति होने के कारण मेहनत से भाग्य उदय होता है। संघर्ष थोड़ा ज्यादा करना पड़ता है। विदेश से लाभ के योग बनते है। छोटे भाइयो के सुख में कमी रहती है कान के रोग परेशान करते है। धार्मिक यात्रा के योग बनते है। धन लाभ के योग बनते है। अच्छे पढ़े लिखे जीवन साथी की प्राप्ति होती है। जीवन साथी अच्छी जॉब करने वाला प्राप्त होता है। मेहनत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता है।

४ मेष लग्न में चौथे स्थान में बृहस्पति होने के कारण प्रॉपर्टी और वेहिकल के योग बनते है। सुख साधन और प्रॉपर्टी पर धन खर्च होने के योग बनते है। भाग्य से प्रॉपर्टी की प्राप्ति होती है। करियर में लाभ होता है। आयु अच्छी होती है। विदेश से धन लाभ होने के योग बनते है। पारिवारिक सुख प्राप्त होने के योग बनते है।

५ मेष लग्न में पंचम भाव में बृहस्पति होने के कारण हायर एजुकेशन प्राप्त होती है। पुत्र संतान सम्बंधित कष्ट के योग बनते है। विदेश से हायर एजुकेशन के योग बनते है। धन लाभ के योग बनते है। अच्छी इनकम के योग बनते है। ऐसा जातक धार्मिक नेचर का होता है और स्थिर बुद्धि का होता है। भाग्य में वृद्धि के योग बनते है। धार्मिक यात्रा के योग बनते है। लम्बी दूरी की यात्रा के योग बनते है। विदेश के योग बनते है। अच्छे पढ़े लिखे मित्र बनते है। प्लानिंग सफल होती है।

६ मेष लग्न में छठे स्थान में बृहस्पति होने के कारण कर्ज के योग बनते है। स्वास्थ्य खराब रहता है। वजन से जुडी समस्या रहती है। पेट, पाचन क्रिया, लिवर, पीलिया जैसी समस्या के योग बनते है। अगर बृहस्पति पाप ग्रहो के प्रभाव में हुआ तो कोर्ट केस जैसी समस्या के योग बनते है। वाद विवाद और झगड़े पर धन खर्च होने के योग बनते है। भाग्य में रूकावट रहती है। लेकिन धन संचय के योग बनते है पारिवारिक सुख के योग बनते है। करियर में तरक्की के योग बनते है।

७ मेष लग्न में सप्तम भाव में बृहस्पति होने के कारण शादी के बाद भाग्य उदय होने के योग बनते है। शादी के बाद तरक्की और धन के योग बनते है। अच्छे पढ़े लिखे जीवन साथी की प्राप्ति होती है। अच्छी इनकम के योग बनते है। ऐसा जातक धार्मिक नेचर का होता है। ऐसा जातक मेहनती होता है। ऐसे जातक को मेहनत का फल प्राप्त होता है। ऐसा जातक स्थिर बुद्धि का होता है।

८ मेष लग्न में अष्टम स्थान में बृहस्पति होने के कारण विदेश के योग बनते है। धन के योग बनते है। धन संचय के योग बनते है। पारिवारिक सुख में वृद्धि होने के योग बनते है। भाग्य में रूकावट रहती है। ऐसा जातक दानी होता है। दान धर्म पर खर्च करता है। वजन से जुडी समस्या की सम्भावना रहती है। पेट और पाचन क्रिया से जुडी समस्या की सम्भावना रहती है और बड़ी आयु होने पर शुगर होने की सम्भावना रहती है।

९ मेष लग्न में नोवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण भाग्य में वृद्धि होती है तरक्की के योग बनते है ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। ऐसे जातक को विदेश से लाभ प्राप्त होने के योग बनते है। विदेश यात्रा के योग बनते है। ऐसे जातक को मेहनत का पूर्ण रूप से फल प्राप्त होता है। ऐसा जातक मेहनती होता है। ऐसे जातक को संतान सुख अच्छा प्राप्त होता है। ऐसे जातक को हायर एजुकेशन प्राप्त होती है। मित्रो से लाभ होता है। ऐसा जातक धार्मिक नेचर का होता है और धार्मिक यात्रा भी करता है।

१० मेष लग्न में दसवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण करियर में तरक्की के योग बनते है। प्रॉपर्टी और वेहिकल सुख प्राप्त होने के योग बनते है। धन प्राप्ति के योग बनते है। धन संचय के योग बनते है। पारिवारिक सुख प्राप्त होने के योग बनते है। रोग समाप्त होते है। शत्रु समाप्त होते है। कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है। सुख साधन पर धन खर्च करने के योग बनते है।

११ मेष लग्न में ग्यारवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण अच्छी इनकम के योग बनते है। लेकिन खर्चे भी अधिक होते है। संतान से लाभ होता है संतान सुख अच्छा प्राप्त होता है। हायर एजुकेशन के योग बनते है। मित्रो से लाभ होता है। प्लानिंग सफल होती है। ऐसा जातक मेहनती होती है और ऐसे जातक को मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। विदेश से भी धन लाभ होता है।

१२ बारवे स्थान में बृहस्पति होने के कारण विदेश के योग बनते है। घर से दूर जाकर भाग्य उदय होने के योग बनते है। स्वास्थ्य पर खर्च होने के योग बनते है। ऐसे जातक की गुप्त विद्या में रूचि होती है। प्रॉपर्टी और वेहिकल सुख प्राप्त होने के योग बनते है। अगर बृहस्पति ग्रह पाप ग्रहो के प्रभाव में हुआ तो रात को नींद से जुडी समस्या होती है व्यर्थ के खर्चे होते है।

ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा

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