माणिक रत्न किन जातको को धारण करना चाहिए और माणिक रत्न धारण करने के लाभ क्या होते है।

Date : 2022-03-06

माणिक रत्न किन जातको को धारण करना चाहिए और माणिक रत्न धारण करने के लाभ क्या होते है।



विभिन्न लग्नो के अनुसार माणिक रत्न धारण करने के लाभ 

- माणिक रत्न सूर्य का रत्न होता है। जिन लग्नो में सूर्य कारक होते है अर्थात जिन लग्नो में सूर्य लग्नेश के मित्र होते है उन लग्नो के जातक सूर्य का रत्न माणिक निश्चित तोर पर धारण कर सकते है। मेष लग्न, कर्क लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न, धनु लग्न में सूर्य योग कारक ग्रह होते है इसलिए इन लग्नो के जातक सूर्य का रत्न माणिक निश्चित तोर पर धारण कर सकते है। प्रत्येक लग्न के अनुसार माणिक रत्न धारण करने के लिए निम्न लिखित है।

- मेष लग्न में सूर्य पंचम भाव के मालिक होते है पंचम भाव पढ़ाई, मित्र, संतान, पेट, प्लानिंग, लव अफेयर, बड़े लेवल के लोगो से सम्बन्ध का होता है। इसलिए मेष लग्न में सूर्य का रत्न माणिक धारण करने से संतान सुख में वृद्धि होती है। हायर एजुकेशन प्राप्त होती है। पेट से सम्बंधित समस्या समाप्त होती है। पेट ठीक रहता है। आंखे ठीक रहती है। अच्छे मित्र बनते है। प्लानिंग सफल होती है। लव अफेयर में सफलता प्राप्त होती है। बड़े लेवल के लोगो से सम्बन्ध बनते है। अतः मेष लग्न में माणिक धारण करना लाभदायक रहता है। ]

- कर्क लग्न में सूर्य दूसरे स्थान के मालिक होते है। दूसरा स्थान परिवार, वाणी, गले, आंख, धन संचय का होता है इसलिए कर्क लग्न में माणिक रत्न धारण करने से पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है परिवार का सुख अच्छा प्राप्त होता है। धन प्राप्ति के योग बनते है धन संचय में वृद्धि होती है। आँखों से जुडी समस्या नहीं होती है आंखे ठीक रहती है। गले में समस्या नहीं होती है गला अच्छा रहता है। वाणी अच्छी रहती है वाणी से जुडी समस्या नहीं होती है बैंक बैलेंस में वृद्धि होती है। अतः कर्क लग्न में माणिक रत्न निश्चित तोर पर धारण कर सकते है।

- सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश होते है और लग्न से स्वास्थ्य और मान सम्मान का विचार किया जाता है सिंह लग्न में माणिक रत्न धारण करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। लाइफ में तरक्की प्राप्त होने के योग बनते है बड़े लेवल के लोगो से सम्बन्ध बनते है। समाज में मान सम्मान में वृद्धि होती है। सरकार से लाभ होने के योग भी बनते है क्योकि सूर्य सरकार के कारक होते है इसलिए माणिक धारण करने से सरकार से लाभ प्राप्त होने के योग बनते है।

- वृश्चिक लग्न में सूर्य दसवे स्थान के मालिक होते है। दसवा स्थान करियर का होता है और पिता का होता है। वृश्चिक लग्न में सूर्य का रत्न माणिक धारण करने से करियर में तरक्की प्राप्त होने के योग बनते है। करियर में मेहनत के अनुसार उन्नति होने के योग बनते है। मान सम्मान में वृद्धि होने के योग बनते है। पिता के सुख में वृद्धि होने के योग बनते है पिता से पूर्ण रूप से सपोर्ट प्राप्त होने के योग बनते है। अतः वृश्चिक लग्न में माणिक रत्न निश्चित तोर पर धारण कर सकते है।

- धनु लग्न में सूर्य नोवे स्थान के मालिक होते है। नोवा स्थान भाग्य का होता है नोवा स्थान लम्बी दूरी की यात्रा का होता है। नोवा स्थान धर्म और अध्यात्म का भी होता है। नोवा स्थान धन प्राप्ति का भी होता है इसलिए धनु लग्न में सूर्य का रत्न माणिक धारण करने से धन आने के योग बनते है भाग्य उदय होने के योग बनते है भाग्य में वृद्धि होने के योग बनते है। लम्बी दूरी की यात्रा करने के योग बनते है धर्म और अध्यात्म में वृद्धि होने के योग बनते है।


माणिक रत्न धारण करने की विधि 

- माणिक रत्न पंचधातु या सोने की अंगूठी में जड़वा कर धारण करना चाहिए। पुरुषो को सीधे हाथ की रिंग फिंगर में माणिक रत्न धारण करना चाहिए और स्त्रियों को उल्टे हाथ की रिंग फिंगर में माणिक रत्न धारण करना चाहिए।

- माणिक रत्न शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए। माणिक रत्न रविवार की सुबह 6 से 7 बजे के बीच धारण करना चाहिए।

- माणिक रत्न धारण करने से पहले कच्चे दूध और गंगाजल के मिश्रण में एक कटोरी में डालकर रखे और 10 मिनट बाद कटोरी से निकालकर पुनः गंगाजल से धोखकर शुद्ध कर ले और अपने घर के मंदिर में धुप दिप जलाकर सूर्य के मंत्र का 108 बार जाप करे ॐ घृणि सूर्याय नमः। इसके बाद अपने सीधे हाथ की रिंग फिंगर में माणिक रत्न धारण करे।




ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा

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