Date : 2022-05-02
- कुंडली में प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते है। लग्न भाव से शरीर की रचना, व्यक्ति की हाइट, रंग रूप, उसका व्यवहार, चरित्र, व्यक्ति का सिर, बाल , व्यक्ति का स्वास्थ्य आदि का विचार प्रथम भाव से किया जाता है।
- कुंडली के दूसरे भाव से धन, बैंक बैलेंस, परिवार, आंख, गला, मुख, ज्वेल्लेरी, जीभ, वाणी अदि का होता है।
- कुंडली के तीसरे स्थान से छोटे भाई बहन, पड़ोसी, छोटी यात्रा, हिम्मत, पराक्रम, मेहनत, लेखन, ट्रांसपोर्ट, नौकर आदि देखे जाते है।
- कुंडली के चौथे स्थान से प्रॉपर्टी, जन्म स्थान, माता का सुख, वेहिकल का सुख, व्यक्ति का मन, दिल, फेफड़े, स्तन, छाती, ज़मीन के अंदर पानी आदि की स्थिति देखी जाती है।
- कुंडली के पांचवे स्थान से शिक्षा, संतान, मित्र, लव अफेयर, पेट, प्लानिंग आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के छठे स्थान से शत्रु, कर्ज, रोग, मामा, कोर्ट केस, पुलिस केस, मौसी आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के सातवे स्थान से शादी, पार्टनरशिप में बिज़नेस, विदेश यात्रा, प्राइवेट पार्ट, शारीरिक सम्बन्ध आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के आठवे स्थान से अचानक धन प्राप्ति, अचानक धन हानि, गुप्त धन, आयु, गुप्त रोग, विदेश यात्रा, भ्रष्टाचार, बदनामी आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के नोवे स्थान से लम्बी दूरी की यात्रा, धार्मिक यात्रा, गुरु, विदेश यात्रा, भाग्य, इंटरव्यू, आध्यात्मिक प्रगति आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के दसवे स्थान से करियर, पिता, मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा, राजनीती, नौकरी आदि का विचार किया जाता है।
- कुंडली के ग्यारवे स्थान से धन लाभ, पिता का संचित धन, जमाई, गिफ्ट्स, इच्छापूर्ति आदि का विचार किया जाता है।
कुंडली के बारवे स्थान से विदेश गमन, विदेश सेटलमेंट, हॉस्पिटल, खर्च, दान पुण्य, संन्यास, शय्यासुख, नींद, व्यसन, अनैतिक सम्बन्ध, आदि का विचार किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा
2021-02-12
2021-02-11
2023-01-13
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