चर राशि, स्थिर राशि, द्विस्वभाव स्वभाव राशियां व शीर्षोदय राशियां चर, स्थिर द्विस्वभाव और शीर्षोदय राशियों का फलित ज्योतिष में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। अगर ज्योतिषी को इन राशियों के बारे में पूर्ण ज्ञान है तो बहुत ही अच्छा फलादेश कर सकते है। चर राशि का मतलब होता है - चलायमान। ऐसी राशि वाले वक्तियो का काम बहुत ही जल्दी होता है। द्विस्वभाव राशि का स्वभाव मिलाजुला होता है तथा स्थिर राशि में काम देर से शुरू होता है। हम जब कोई भी काम करते है तो हमे इन राशियों के स्वभाव को ध्यान में रखना चाहिए। अगर हम ट्रांसपोर्ट से सम्बंधित कार्य करते है तो चर राशि से संबंधित लग्न में करना चाहिए। अगर फैक्ट्री, दुकान, ऑफिस, या मकान बनाना चाहते है तो हमे स्थिर राशियों में बनाना चाहिए। कुछ काम ऐसे होते है जो स्थिर भी होते है, द्विस्वभाव भी होते है तथा चर भी होते है ऐसी स्थिति में हमे द्विस्वभाव राशि में कार्य प्रारम्भ करना चाहिए। इसी प्रकार राशियों से हमे दिशा का ज्ञान भी प्राप्त होता है। जो राशि जिस दिशा में बैठी होती है उसी दिशा में हमारे कार्य प्रशस्त होते है। जैसे भाग्य स्थान की राशि का स्वामी अगर पूर्व दिशा में बैठा है तो हमारा भाग्य उदय पूर्व दिशा में होगा। जो राशि जिस दिशा की स्वामी होती है उस दिशा से वही वस्तुए हमे प्राप्त होती है। जैसे धन भाव में अगर मेष राशि है तो आपको धन की प्राप्ति पूर्व दिशा से होगी। शीर्षोदय , पृष्ठोदय व उभयोदय राशियां राशियां जब पृथ्वी के क्षितिज पर उदय होती है तो इनका उदय होने का तीन ही प्रकार का तरीका होता है। कुछ राशियां सिर के बल पर उदय होती है या हम यह कह सकते है की पहले उनका सिर दिखाई देता है, उनको हम शीर्षोदय राशियां कहते है। कुछ राशियां पैरो के बल पर उदय होती है या हम यह कह सकते है की पैरो के बल पर उदय होती है इनको हम पृष्ठोदय कहते है। कुछ राशियां पेट व पीठ के बल उदय होती है या हम यह कह सकते है उनका हमें पहले पेट या पीठ दिखाई देता है तो उनको हम उभयोदय राशियां कहते है। इनके उदय होने से हमे फलादेश साफ साफ समझ में आता है। जैसे कोई व्यक्ति का सिर पहले बाहर निकलता है तो वह इस दुनिया को बहुत जल्दी जमझ लेता है। लेकिन अगर पैर पहले निकलता है तो सिर बाद में निकलने की वजह से बाद में दुनिया को समझ पाएगा। इसी प्रकार प्रत्येक भाव में बारह राशियों का फल अलग अलग होता है। जैसे धन भाव में अगर शीर्षोदय राशि होती है तो आपको धन तुरंत आना शुरू हो जाता है या भाग्य स्थान में शीर्षोदय राशि होती है तो भाग्य उदय जल्दी से हो जाता है। अगर इन्ही स्थानो में पृष्ठोदय राशियां होती है तो हमारा भाग्य उदय या हमे धन की आवक बहुत ही कड़ी मेहनत के बाद मिलती है। या हम यह कह सकते है यह हमे बहुत ही देर से प्राप्त हुई है। सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, व कुम्भ राशियां शीर्षोदय होती है। मेष, वृष, कर्क, धनु, व मकर राशियां पृष्ठोदय होती है। मिथुन व मीन राशियां उभयोदय होती है। ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा