Date : 2021-02-26
अश्वनी, भरणी, रोहिणी, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, मघा, विशाखा, उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद ये नक्षत्र आकाशमंडल में उत्तर दिशा में दिशा में दिखाई देते है। इनको दूरबीन की सहायता से देखा जा सकता है।
कृतिका, पुष्य, अश्लेषा, चित्रा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा और रेवती ये नक्षत्र आकाश के मध्य में दिखाई देते है।
मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा ये नक्षत्र आकाशमंडल में दक्षिण दिशा में दिखाई देते है।
नक्षत्रो का हमारे शुभ और अशुभ कार्यो में बहुत योगदान रहता है।
पंचक नक्षत्र : घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती ये पांच नक्षत्रो को पंचक माना जाता है। जब पंचम लग जाती है तो इनमे से कुछ विशेष कार्य अशुभ हो जाते है। जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा, मकान बनाना, दुकान बनाना, चारपाई खरीदना, मुर्दा जलाना आदि कार्य वर्जित होते है। अगर मजबूरी वश इनमे से कोई भी कार्य करना पड़े तो पंचम नक्षत्रो की शांति करवाने के बाद ही करे।
ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा
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