१. तुला लग्न में लग्नेश शुक्र बारवे स्थान पर बैठा हुआ हो और उस शुक्र पर शनि की दृष्टि पड़े तो बहुत मुहांसे, फोड़े, फुंसी निकलते है और चेहरे पर मुहांसो के गढ्डे बन जाते है। २. तुला लग्न में यदि लग्न में नीच का सूर्य बैठा हुआ हो। सूर्य की महादशा में सिर के बाल उड़ जाते है ऐसा जातक गंजा हो जाता है। ३. कुंडली में ३,६,८,१२ में बनने वाले राजयोग काम नहीं करते है उनके शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते है। ४. धनेश और भाग्येश का स्थान परिवर्तन योग धन की कमी करता है ऐसा जातक धन के लिए सदैव परेशान रहता है। ५. चौथे स्थान और भाग्य स्थान के मालिकों का आपस में स्थान परिवर्तन होने पर प्रॉपर्टी सुख समय पर प्राप्त नहीं होता है। बड़ी आयु पर ही अपना स्वयं का मकान बन पाता है। ६. कुंडली में यदि दूसरे स्थान का मालिक शनि की राशि में बैठा हुआ हो या शनि की दृष्टि से पीड़ित हो या शनि के साथ बैठा हुआ हो तो ऐसा जातक नशा करता है। ७. सप्तम भाव में उच्च का शुक्र होने पर एक से अधिक विवाह के योग बनते है। ८. चौथे स्थान का मालिक छठे पर होने पर वेहिकल से एक्सीडेंट के योग बनाता है। ९. छठे स्थान का मालिक लग्न में बैठता है तो ऐसा जातक के शत्रु होते है उसे अपने शत्रुओ से परेशानी होती है। १०. मेष लग्न में चौथे स्थान पर चन्द्रमा मंगल की युति हो तो ऐसे जातक के कई मकान होते है। ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा